
पैसे देकर ऑनलाइन गेम खेलने के दिन लदे, क्या प्रतिबंधित हुआ, किसपर छूट, जानिए सबकुछ
संवाददाता,, नरेश गुप्ता
सीतापुर, उत्तर प्रदेश: सीतापुर के अटरिया और सिधौली क्षेत्रों में इन दिनों ऑनलाइन जुए का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है, जिसने युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। रातों-रात अमीर बनने के लालच में, युवा अपनी मेहनत की कमाई को ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग ऐप्स पर लुटा रहे हैं। इस खतरनाक लत ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को खराब किया है, बल्कि उन्हें मानसिक तनाव और निराशा की खाई में धकेल दिया है।

साइबर पुलिस की निष्क्रियता से बढ़ रहा है खतरा
स्थानीय लोगों का कहना है कि ऑनलाइन जुए का यह कारोबार बेरोकटोक इसलिए चल रहा है, क्योंकि साइबर क्राइम पुलिस इस पर लगाम लगाने में असफल रही है। पुलिस की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई न होने के कारण, ये ऑनलाइन जुआ संचालक बिना किसी डर के अपना काम जारी रखे हुए हैं। इस वजह से, छोटी दुकानों के मालिक से लेकर मासिक वेतन पाने वाले कर्मचारी तक इस दलदल में फंसते जा रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार,
ऑनलाइन जुआ सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक आपराधिक गतिविधि है। इसमें बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और वित्तीय अपराध शामिल हैं। युवाओं को यह समझना होगा कि यह एक ऐसा जाल है, जिसमें एक बार फंसने के बाद निकलना बहुत मुश्किल है।
परिवारों के लिए बढ़ रही है चिंता
ऑनलाइन जुए की लत सिर्फ युवाओं को ही नहीं, बल्कि उनके परिवारों को भी आर्थिक संकट में डाल रही है। कई परिवार अपने बच्चों को इस लत से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई रास्ता नहीं मिल रहा है। इस स्थिति ने समाज में एक बड़ी चिंता पैदा कर दी है, क्योंकि यह न केवल युवाओं के भविष्य को बर्बाद कर रहा है, बल्कि पूरे परिवार को संकट में धकेल रहा है।
इस समस्या से निपटने के लिए पुलिस और साइबर विशेषज्ञों को मिलकर एक मजबूत रणनीति बनाने की सख्त ज़रूरत है, ताकि इस खतरनाक ऑनलाइन जुए के मकड़जाल को खत्म किया जा सके और युवाओं के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके।
ऑनलाइन गेमिंग विधेयक 2025: पैसे देकर ऑनलाइन गेम खेलने के दिन लदे, क्या प्रतिबंधित हुआ, किसपर छूट, जानिए सबकुछ
ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन व विनियमन विधेयक, 2025 में मनी गेम्स पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है। सरकार के अनुसार इस विधेयक से ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को बढ़ावा दिया जाएगा। वहीं गेमिंग उद्योग का कहना है कि पूर्ण प्रतिबंध से 400 से अधिक कंपनियां बंद हो जाएंगी और दो लाख नौकरियां खत्म हो सकती हैं।
ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन व विनियमन विधेयक, 2025 भारत में ऑनलाइन गेमिंग परिदृश्य में बड़ा बदलाव लाने जा रहा है। बुधवार को यह विधेयक लोकसभा से गुरुवार को यह राज्यसभा से भी पास हो गया। इस विधेयक में ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को तो राहत दी गई है, वहीं ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है। इसे लेकर गेमिंग उद्योग जगत और सरकार के मत बंटे हुए हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
रियल मनी गेम क्या है?
ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग उन डिजिटल प्लेटफॉर्म को संदर्भित करता है जहां खिलाड़ी खेलों में भाग लेने के लिए भुगतान करते हैं और नकद पुरस्कार जीत सकते हैं। इनमें नकद दांव और मौद्रिक जीत वाले सभी ऑनलाइन गेम शामिल हैं।
विधेयक के तहत क्या होगा प्रतिबंधित?
सभी ऑनलाइन मनी गेम्स, चाहे वे स्किल पर आधारित हों या किस्मत पर।
इसमें ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स और लॉटरी भी शामिल होंगे।
ऐसे खेलों से जुड़े विज्ञापन, प्रमोशन और बैंक या पेमेंट ऐप्स के जरिए होने वाले लेन-देन पर भी प्रतिबंध है।
सख्त दंड का प्रावधान
मनी गेम्स ऑफर करने पर अधिकतम 3 साल की जेल और एक करोड़ रुपये तक जुर्माना।
विज्ञापन करने पर 2 साल की जेल और 50 लाख रुपये जुर्माना।
दोहराने पर 3 से 5 साल की जेल और दो करोड़ रुपये तक का जुर्माना।
प्रमुख अपराधों को गंभीर और गैर-जमानती श्रेणी में रखा गया है।
केंद्र सरकार या नए प्राधिकरण के निर्देशों का पालन न करने पर ₹10 लाख का जुर्माना, पंजीकरण निलंबन या रद्दीकरण, और संचालन पर प्रतिबंध लग सकता है। मेजबानी और वित्तीय सुविधा से संबंधित अपराधों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 के तहत स्पष्ट रूप से संज्ञेय और गैर-जमानती घोषित किया गया है।
नया नियामक निकाय
इसके लिए केंद्र सरकार ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी नामक नया राष्ट्रीय निकाय बनाएगी
यह ऑनलाइन गेम्स को श्रेणीबद्ध और पंजीकृत करेगा।
यह तय करेगा कि कौन सा गेम प्रतिबंधित ‘मनी गेम’ है।
शिकायतों का निपटारा और नियमों का पालन सुनिश्चित करेगा।
विधेयक के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए एक नया प्राधिकरण स्थापित किया जाएगा। इसकी प्रारंभिक लागत लगभग ₹50 करोड़ और वार्षिक लागत ₹20 करोड़ होने का अनुमान है, जिसका वित्तपोषण भारत की संचित निधि से किया जाएगा।
