यूपी समेत पूरे देश में रजिस्टर्ड डाक सेवा बंद, अब केवल ‘स्पीड पोस्ट’ का जमाना

संवाददाता,, नरेश गुप्ता

लखनऊ: उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में डाक विभाग की लगभग 148 साल पुरानी रजिस्टर्ड डाक सेवा अब 1 सितंबर, 2025 से पूरी तरह बंद हो गई है। यह फैसला आधुनिक सेवाओं की बढ़ती मांग और डिजिटलीकरण को देखते हुए लिया गया है। अब इसकी जगह केवल स्पीड पोस्ट ही उपलब्ध रहेगी। रजिस्टर्ड डाक का जाना सिर्फ एक सेवा का अंत नहीं, बल्कि एक युग का अंत है, जिसने दशकों तक लोगों के महत्वपूर्ण संदेशों को सुरक्षित रूप से पहुंचाया है।

क्या थी रजिस्टर्ड डाक सेवा?

भारतीय डाक विभाग की स्थापना 1 अक्टूबर, 1854 को हुई थी, और उसके बाद 1877 में रजिस्ट्री सेवा, वीपीपी और पार्सल सेवाओं की शुरुआत हुई। लगभग 148 साल तक, रजिस्टर्ड डाक लोगों के लिए सबसे भरोसेमंद माध्यम बनी रही। इसका इस्तेमाल कोर्ट के कानूनी दस्तावेजों, नौकरी से जुड़े पत्रों, शादी के कार्ड और अन्य महत्वपूर्ण कागजात भेजने के लिए होता था।
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि डाकिया केवल उसी व्यक्ति को पत्र सौंपता था, जिसके नाम से वह भेजा गया हो, और डिलीवरी का पुख्ता सबूत देने के लिए उसकी रसीद पर हस्ताक्षर लेता था। यह एक सुरक्षित और गारंटीकृत डिलीवरी सेवा थी। जब कोई रजिस्टर्ड डाक भेजता था, तो उसे एक खास रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाता था, जिससे डाक को ट्रैक किया जा सकता था। हालांकि, यह रियल-टाइम ट्रैकिंग नहीं थी।

रजिस्टर्ड डाक के चार्ज

रजिस्टर्ड डाक का शुल्क समय-समय पर बदलता रहा। नवंबर 2023 तक, रजिस्टर्ड पत्र का शुल्क 22 रुपये से बढ़ाकर 25.96 रुपये कर दिया गया था। इसके बाद, हर 20 ग्राम के अतिरिक्त वजन के लिए 5 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लगता था।

रजिस्टर्ड डाक क्यों बंद हुई?

रजिस्टर्ड डाक को बंद करने का सबसे बड़ा कारण इसकी धीमी गति और आधुनिक सेवाओं की बढ़ती मांग है। स्पीड पोस्ट सेवा, जो 1986 में शुरू हुई थी, रजिस्टर्ड डाक की तुलना में कहीं अधिक तेज और विश्वसनीय है। स्पीड पोस्ट से भेजे गए दस्तावेज आमतौर पर 72 घंटे के भीतर वितरित हो जाते हैं, जबकि रजिस्टर्ड डाक को पहुंचने में 8 से 10 दिन या उससे भी अधिक समय लग सकता था।
आजकल, लोगों को तुरंत ट्रैकिंग और तेजी से डिलीवरी चाहिए, जो स्पीड पोस्ट बेहतर तरीके से प्रदान करता है। इसके अलावा, डिजिटलीकरण और ऑनलाइन सेवाओं के बढ़ते चलन ने भी पारंपरिक डाक सेवाओं की प्रासंगिकता को कम कर दिया था। रजिस्टर्ड डाक के बंद होने से डाक विभाग को अपनी सेवाओं को और अधिक सुव्यवस्थित और कुशल बनाने में मदद मिलेगी।

अब क्या होगा?

रजिस्टर्ड डाक के बंद होने के बाद, अब केवल स्पीड पोस्ट ही एकमात्र सुरक्षित और ट्रैक करने योग्य डाक सेवा होगी। हालांकि, यह रजिस्टर्ड डाक की तुलना में थोड़ी महंगी है। जहाँ रजिस्टर्ड डाक का शुरुआती शुल्क लगभग 26 रुपये था, वहीं स्पीड पोस्ट का शुरुआती शुल्क 41 रुपये है। यह अतिरिक्त खर्च तेज डिलीवरी और बेहतर ट्रैकिंग की सुविधा के साथ आता है, जो आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है।
भारतीय डाक विभाग अब ‘स्पीड’ के साथ आगे बढ़ रहा है, ताकि बदलते समय के साथ कदम से कदम मिलाया जा सके और ग्राहकों को बेहतर सेवा दी जा सके।

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