
संवाददाता,, नरेश गुप्ता
(वायरल न्यूज़)
सिधौली (सीतापुर): जहाँ एक ओर उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को आमजन तक पहुँचाने का दावा कर रही है, वहीं जनपद सीतापुर का सिधौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) इन दावों की पोल खोलता दिख रहा है। अस्पताल की लापरवाही, अव्यवस्थाएँ और मरीजों के प्रति उदासीन रवैया, लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। सबसे गंभीर स्थिति गर्भवती महिलाओं के लिए है, जिन्हें सरकार द्वारा दी जा रही निशुल्क अल्ट्रासाउंड सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
निशुल्क अल्ट्रासाउंड सुविधा ठप, मरीज परेशान
सरकार की ओर से गर्भवती महिलाओं के लिए प्रत्येक माह की 1, 9, 16 और 24 तारीख को निशुल्क अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था की गई है। यह सुविधा उन ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए जीवन रेखा साबित होती थी, जिन्हें निजी अल्ट्रासाउंड के लिए सैकड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन सिधौली सीएचसी में बीते 16 तारीख से यह सुविधा पूरी तरह ठप पड़ी है। अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आनंद सिंह ने इसका कारण जनपद स्तर से ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) न मिलना बताया है, जिसके कारण मशीन चालू नहीं हो पा रही है। तकनीकी समस्या का यह बहाना गर्भवती महिलाओं के लिए एक बड़ा संकट बन गया है, जिन्हें समय पर जांच और इलाज की आवश्यकता होती है।

नियमों की अनदेखी, मनमाना रवैया
केवल अल्ट्रासाउंड सुविधा ही नहीं, बल्कि सीएचसी की पूरी व्यवस्था ही सवालों के घेरे में है। सरकारी नियमों के अनुसार, सभी सरकारी अस्पतालों को सुबह 8 बजे खुलना चाहिए, लेकिन सिधौली सीएचसी का कार्यालय सुबह 10 बजे तक भी बंद पाया जाता है। जब इस बारे में अधीक्षक से सवाल किया गया तो उनका जवाब था कि कार्यालय का समय 10 बजे निर्धारित है, जो कि सीधे तौर पर शासनादेशों की अनदेखी है। इस मनमानी के कारण दूर-दराज से आने वाले मरीजों को सुबह घंटों इंतजार करना पड़ता है।
मरीजों के साथ असम्मानजनक व्यवहार
इलाज के लिए आने वाले मरीजों की शिकायत है कि स्वास्थ्यकर्मी उनके साथ अक्सर असम्मानजनक व्यवहार करते हैं। समस्या सुनने और समाधान करने के बजाय उन्हें गुमराह किया जाता है या टालमटोल कर दिया जाता है। विशेषकर गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और गंभीर मरीजों को सबसे अधिक कठिनाई झेलनी पड़ती है। ऐसे व्यवहार से मरीजों का सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर से विश्वास उठ रहा है।
बढ़ती बीमारियों के मौसम में बढ़ी चुनौती
वर्तमान समय में मौसम में बदलाव के कारण वायरल फीवर, टाइफाइड, मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं का सुचारु संचालन और भी आवश्यक हो जाता है। लेकिन सिधौली सीएचसी की अव्यवस्थाएँ मरीजों की मुश्किलें और बढ़ा रही हैं, जिसके कारण लोग इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
सरकारी योजनाओं की मंशा पर पानी
सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और गाँव-गाँव तक पहुँचाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। लेकिन सिधौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में व्याप्त लापरवाही और कर्मचारियों का मनमाना रवैया इन प्रयासों और सरकारी योजनाओं की मंशा पर पानी फेर रहा है।
आवश्यक है कठोर कार्रवाई
सिधौली सीएचसी की यह अव्यवस्थाएँ न केवल सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती हैं, बल्कि सीधे तौर पर आम लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी करती हैं। यह आवश्यक है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस मामले को गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए तत्काल कठोर कार्रवाई करे। यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो सरकार के स्वास्थ्य संबंधी दावे केवल कागजों तक ही सीमित रह जाएँगे।
