
संवाददाता,, नरेश गुप्ता
अटरिया सीतापुर: ‘जय श्री राम’ के नारों के बीच, मंदिर के प्रांगण में एक अश्लील तमाशा चल रहा था। धर्म और आस्था के नाम पर आयोजित एक मेले में, बार-बालाओं का नाच और फूहड़ गाने लोगों की श्रद्धा पर चोट कर रहे थे। ये घटना सीतापुर के बौनाभारी गांव की है, जहां वामन जयंती के पवित्र अवसर पर एक मेला लगा था। लेकिन ये ‘मेला’ धर्म का नहीं, बल्कि बेशर्मी का मंच बन गया था। सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब ये सब हो रहा था, तब खाकी वर्दी वाले पुलिसवाले सिर्फ मूकदर्शक बनकर क्यों खड़े थे?

दरोगा की आँख पर पट्टी या मिलीभगत?
अटरिया थाने के बीट दरोगा महेश पाल अपनी पूरी टीम के साथ मौके पर मौजूद थे। लेकिन उन्होंने इस अश्लील डांस को रोकने की ज़हमत तक नहीं उठाई। क्या ये उनकी ड्यूटी का हिस्सा नहीं था कि वो एक धार्मिक स्थल की गरिमा बनाए रखें? या फिर इस आपत्तिजनक कार्यक्रम को रोकने के लिए उन पर कोई दबाव था?

इंतजार पुलिस अधीक्षक की कार्रवाई का
ये वीडियो अब पूरे देश में वायरल हो रहा है और लोग कह रहे हैं, ‘धर्म खतरे में है’। लेकिन यहां धर्म से ज्यादा पुलिस की साख खतरे में है। अब सभी की निगाहें सीतापुर के पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल पर टिकी हैं। क्या वो इन लापरवाह पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करेंगे? या फिर इस तरह के कार्यक्रमों को एक तरह से ‘हरी झंडी’ मिल जाएगी?
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जब आस्था और कानून की बात आती है, तो हमारे समाज में अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं। क्या हम सिर्फ दिखावे के लिए धर्म का पालन करते हैं, या सच में उसकी मर्यादा को बनाए रखते हैं? ये सवाल हर उस शख्स को खुद से पूछना चाहिए, जो धर्म की बात करता है।

धार्मिक स्थल पर अश्लील डांस: पुलिस की मौजूदगी में वायरल हुआ आपत्तिजनक वीडियो, लोगों में आक्रोश
सीतापुर जिले के अटरिया छेत्र में वामन जयंती के अवसर पर आयोजित एक मेले में मंदिर परिसर के अंदर अश्लील डांस का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यह घटना अटरिया थाना क्षेत्र के बौनाभारी गांव की है, जहाँ जलविहार मेले के दौरान बार-बालाओं को मंदिर के प्रांगण में लगे मंच पर आपत्तिजनक गानों पर नाचते हुए देखा गया।
यह वीडियो लोगों के बीच तीखी बहस का विषय बन गया है। धार्मिक स्थलों की पवित्रता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि क्या ऐसे पवित्र स्थानों पर इस तरह के अशोभनीय और अश्लील कार्यक्रम आयोजित करना सही है?

पुलिस पर उठे सवाल
इस घटना का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि जब यह कार्यक्रम हो रहा था, तब अटरिया थाने के बीट दरोगा महेश पाल अपनी टीम के साथ मौके पर मौजूद थे। हालांकि, उन्होंने इस आपत्तिजनक कार्यक्रम को रोकने की कोई कोशिश नहीं की और मूकदर्शक बने रहे।
इससे पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आम जनता पूछ रही है कि क्या पुलिस की जिम्मेदारी केवल भीड़ को देखना था, या ऐसे कार्यक्रमों को रोकना भी उनकी ड्यूटी में शामिल था? इस घटना से समाज में पुलिस की छवि पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।

पुलिस अधीक्षक की कार्रवाई का इंतजार
यह वीडियो अब पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है, और लोग लगातार सोशल मीडिया पर इस पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। अब सभी की निगाहें सीतापुर के पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल पर टिकी हैं कि वे इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं। यदि पुलिस प्रशासन इस पर कोई सख्त कदम नहीं उठाता है, तो इससे समाज में गलत संदेश जा सकता है कि इस तरह के कार्यों को रोका नहीं जा सकता।
