अटरिया,, चंद हरी पत्तियों के सामने दम तोड़ रहा अटरिया माइनर पर अवैध कब्जे पर कार्यवाही का पहलवान
हाथी के दांत साबित हो रहा माइनर पर अतिक्रमण हटाओ नोटिस,नहर विभाग पर लगे रहे भ्रष्टाचार के आरोप

संवाददाता,,, नरेश गुप्ता
सीतापुर, उत्तर प्रदेश: जनपद के सिधौली क्षेत्र के अटरिया कस्बे में नहर विभाग का अतिक्रमण हटाने का अभियान सिर्फ कागज़ी कार्रवाई बनकर रह गया है। अटरिया माइनर पर अवैध कब्ज़ों को हटाने के लिए विभाग ने सख्त नोटिस जारी किया था, लेकिन एक हफ्ता बीतने के बाद भी ज़मीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस ढिलाई ने सरकारी कामकाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और मिलीभगत की पोल खोल दी है।
कागज़ी चेतावनी या हकीकत?
नहर विभाग ने उत्तर प्रदेश कैनाल एवं ड्रेनेज एक्ट, 1973 की धारा 70 के तहत दुकानदारों को नोटिस जारी कर दो दिन के भीतर अतिक्रमण हटाने की चेतावनी दी थी। नोटिस में साफ तौर पर कहा गया था कि अगर दुकानदार खुद कब्ज़ा नहीं हटाते हैं तो विभाग बलपूर्वक कार्रवाई करेगा। लेकिन, इस नोटिस को न तो दुकानदारों ने गंभीरता से लिया और न ही विभाग ने अपनी कही बात पर अमल किया।
यह स्थिति विभाग की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या यह नोटिस केवल एक औपचारिकता थी? क्या अधिकारियों ने अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है? या फिर इस मामले में कोई अंदरूनी समझौता हुआ है?

’ऊपरी कमाई’ का खेल
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस ढिलाई के पीछे एक बड़ा कारण है। माइनर पर दुकान लगाने वाले दुकानदार हर महीने नहर विभाग के निचले अधिकारियों को सुविधा शुल्क देते हैं। इसी ‘ऊपरी कमाई’ के चलते अधिकारी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई से बचते हैं। एक तरफ नोटिस जारी कर वे दिखावा करते हैं कि वे अपना काम कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ वे कोई कार्रवाई नहीं करते, जिससे उनकी अवैध कमाई जारी रहे।
यह स्थिति अधिकारियों और अतिक्रमणकारियों के बीच ‘गठजोड़’ को दर्शाती है, जहाँ वे मिलकर नियमों का मखौल उड़ा रहे हैं। अगर माइनर पर लगी दुकानें हटाई गईं, तो इन अधिकारियों की अवैध कमाई बंद हो जाएगी।
भविष्य में क्या?
अब यह देखना बाकी है कि क्या नहर विभाग अपनी साख बचाने के लिए कोई ठोस कदम उठाता है या फिर यह मामला भी अन्य सरकारी फाइलों की तरह धूल फांकता रहेगा। इस तरह की ढिलाई न केवल नियमों का मज़ाक उड़ाती है, बल्कि आम जनता में सरकारी विभागों के प्रति अविश्वास भी पैदा करती है। यह सवाल बना हुआ है कि क्या विभाग भ्रष्टाचार के इन आरोपों का जवाब देगा और माइनर को कब्ज़ामुक्त कराएगा।
