अटरिया,, ​‘नोटिस-नोटिस’ के खेल का अंत: आखिरकार चला बुलडोजर, नहर विभाग ने हटाया माइनर पर से अवैध अतिक्रमण

संवाददाता,, नरेश गुप्ता

​अटरिया , सीतापुर: जनपद के सिधौली में नहर विभाग की कार्यशैली पर लंबे समय से उठ रहे सवाल आखिरकार शांत होते दिख रहे हैं। अटरिया माइनर पर बने अवैध कब्जों को हटाने के लिए सिर्फ कागजी नोटिस का खेल चल रहा था, जिस पर अब विराम लग गया है।

दो बार नोटिस देने के बावजूद जब अतिक्रमणकारी नहीं माने, तो विभाग ने दूसरी नोटिस के बाद 22 सितंबर को सख्त कार्रवाई की। नहर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में बुलडोजर चलाकर इन अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर दिया गया। इस दौरान कुछ दुकानदारों और अधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई, लेकिन विभाग अपनी कार्रवाई पर अडिग रहा।

​अतिक्रमण से बाधित हो रहा था जल प्रवाह

​अटरिया माइनर के किनारे सालों से कई दुकानें और अन्य पक्के निर्माण अवैध रूप से खड़े थे। इन कब्जों के कारण न सिर्फ नहर का जल प्रवाह बाधित हो रहा था, बल्कि यह सरकारी संपत्ति का खुला दुरुपयोग भी था।

इस वजह से माइनर के रखरखाव में भी बड़ी दिक्कतें आ रही थीं। स्थानीय लोगों ने कई बार इसकी शिकायत की थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा था।

​’जब सैंया भये कोतवाल, तो डर काहे का’

​स्थानीय लोगों का आरोप था कि नहर विभाग के कर्मचारी और अधिकारी इन अतिक्रमणों पर कार्रवाई करने के बजाय सिर्फ खानापूर्ति कर रहे थे।

एक के बाद एक नोटिस जारी किए जा रहे थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी। लोग दबी जुबान में कहते थे कि ‘जब सैंया कोतवाल, तो डर काहे का’, यानी जब विभाग ही सख्ती नहीं दिखा रहा, तो अतिक्रमणकारी क्यों डरेंगे? इस कहावत को चरितार्थ करते हुए अतिक्रमणकारी पूरी तरह निश्चिंत थे कि उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी।

​दो नोटिस के बाद हुआ एक्शन

​नहर विभाग ने पहली बार 2 सितंबर, 2025 को इन अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर दो दिनों के भीतर कब्जा हटाने का अल्टीमेटम दिया था।

चेतावनी दी गई थी कि अगर कब्जा नहीं हटाया गया, तो विभाग जेसीबी से कार्रवाई करेगा। लेकिन, न तो अतिक्रमणकारियों ने इस चेतावनी को गंभीरता से लिया और न ही विभाग ने कोई कार्रवाई की। पहली नोटिस के 15 दिन बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई थी।

​इसके बाद, 19 सितंबर को विभाग ने एक और नोटिस जारी किया। इस बार विभाग ने मन बना लिया था कि सिर्फ कागजी कार्रवाई से काम नहीं चलेगा। दूसरी नोटिस के दो दिन बाद यानी 22 सितंबर को सुबह से ही नहर विभाग के अधिकारी जेसीबी लेकर मौके पर पहुंच गए। कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच, बुलडोजर ने एक-एक करके सभी अवैध निर्माणों को ढहाना शुरू कर दिया। कुछ दुकानदारों ने विरोध करने की कोशिश की, लेकिन अधिकारियों की सख्ती के आगे उनकी एक न चली। इस कार्रवाई ने यह साफ कर दिया कि सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

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