​अटरिया,, सिंचाई विभाग की ‘सिल्ट’ बनी ‘सेटिंग’! नहर किनारे बहुमूल्य सरकारी शीशम व अर्जुन के पेड़ों की चढ़ रही बलि, पुलिया ध्वस्त

संवाददाता,, नरेश गुप्ता

नहर के किनारे लगातार हो रही सरकारी पेड़ों की कालाबाजारी पर वन विभाग की धीमी कार्यवाही

​अटरिया , सीतापुर: सिधौली डिवीजन कार्यालय से मात्र 12 कि.मी दूरी पर स्थित अटरिया माइनर से जुड़ी नहर पर इन दिनों सिल्ट की आड़ में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है।

अलाईपुर जंक्शन से कसावाँ पानपुर होते हुए जगदीशपुर बलवंतपुर जाने वाली नहर के किनारे लगे पुराने बहुमूल्य शीशम और अर्जुन के पेड़ एक-एक कर गायब हो रहे हैं कई पेड़ तो अब भी मौके पर गिरे हुए पाए गए हैं । आरोप है कि यह सब सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है।

​सिल्ट हटाने के नाम पर जेसीबी से नहर की सफाई तो हो रही है, लेकिन इसी बहाने किनारे खड़े विशाल वृक्षों को भी गिराया जा रहा है। गिराए गए पेड़ों की लकड़ी चोरी-छिपे गायब कर दी जा रही है। मौके पर कुछ शीशम के पेड़ अभी भी मौजूद हैं, जो करीब 20-25 साल पुराने बताए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी इस तरह की कई वारदातें हो चुकी हैं। हाल ही में वन विभाग के डिप्टी रेंजर ने सरकारी पेड़ों को गिराने के आरोप में जेसीबी संचालक पर 35,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था, लेकिन सिंचाई विभाग के सहायक अवर अभियंता की अनदेखी से उनकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

​डंपरों ने खत्म किए रास्ते, पुलिया टूटी, जनता परेशान

​सिल्ट की नीलामी के दौरान बाराबंकी के निंदुरा ब्लॉक में मिट्टी ले जा रहे डंपरों ने न सिर्फ गांवों के रास्ते खत्म कर दिए हैं, बल्कि माइनर पर बनी पुलिया को भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है। पुलिया का एक हिस्सा टूटकर गिरा है, जिससे पैदल चलने वालों, स्कूली छात्रों और राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हर समय दुर्घटना का डर बना रहता है। खीरी शाखा से निकली इटौंजा रजबहा की पुल और पलिया पुल पर लगी पैरा पिट वॉल भी डंपरों की टक्कर से टूट चुकी है। सिंचाई विभाग की यह लापरवाही जनता के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है।

​अधिकारियों की चुप्पी पर गंभीर सवाल

​क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि सिंचाई विभाग के अधिकारी, जिनमें सहायक अभियंता, अवर अभियंता, जिलेदार और बेलदार शामिल हैं, इस पूरे मामले पर आंखें मूंदे बैठे हैं। उनकी निष्क्रियता के कारण समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। यह महज एक इत्तेफाक नहीं है, क्योंकि हाल ही में सीतापुर में तैनात सिंचाई विभाग के अवर अभियंता मनोज कुमार यादव पर बाराबंकी के सिंदूरा ब्लॉक में सरकारी जमीन से शीशम के पेड़ चोरी से कटवाकर बेचने का आरोप लगा था, जिस पर वन विभाग ने मुकदमा भी दर्ज किया था।

​यह घटनाएं अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं। क्षेत्र के लोगों ने प्रशासन से तुरंत क्षतिग्रस्त पुलियों की मरम्मत कराने और लापरवाह अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। इस तरह से सरकारी संपत्ति का खुलेआम बंदरबांट न केवल राजस्व का नुकसान है, बल्कि पर्यावरण संतुलन के लिए भी बड़ा खतरा है।

​क्या प्रशासन इस ‘सिल्ट सेटिंग’ को रोक पाएगा या फिर ऐसे ही सरकारी पेड़ों की बलि चढ़ती रहेगी?

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