
संवाददाता,, नरेश गुप्ता
सिधौली, सीतापुर: जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के सिधौली कोतवाली क्षेत्र के खैरनदेशनगर गांव में एक बेहद ही दुखद घटना सामने आई है। यहाँ पटना में रहकर पढ़ाई कर रहे 22 वर्षीय एक युवक ने संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। युवक की अचानक हुई मौत से पूरे परिवार में कोहराम मच गया है और गांव में शोक की लहर दौड़ गई है।
पटना से वापस आने के बाद उठाया यह कदम
मृतक युवक की पहचान दीपक कुमार (22) के रूप में हुई है, जो कुछ समय पहले तक बिहार की राजधानी पटना में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था। जानकारी के मुताबिक, दीपक पिछले हफ्ते ही अपने गांव खैरनदेशनगर लौटा था। परिवार के सदस्यों का कहना है कि वह पिछले कुछ दिनों से गुमसुम और परेशान दिखाई दे रहा था, लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह इतना बड़ा और घातक कदम उठा लेगा।

गुरुवार की सुबह जब परिवार के सदस्य दीपक के कमरे में गए, तो उन्होंने उसे छत के पंखे से लटके हुए पाया। इस भयावह दृश्य को देखकर परिवार में चीख-पुकार मच गई। देखते ही देखते आस-पड़ोस के लोग इकट्ठा हो गए और इस हृदय विदारक घटना से स्तब्ध रह गए।
आत्महत्या के कारणों का खुलासा नहीं
घटना की जानकारी तुरंत स्थानीय पुलिस को दी गई। कोतवाली सिधौली के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) अपनी टीम के साथ मौके पर पहुँचे और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस को घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, जिससे आत्महत्या के पीछे के सही कारणों का पता नहीं चल पाया है। हालांकि, पुलिस मामले की गहनता से जाँच कर रही है और परिवार के सदस्यों से पूछताछ कर रही है ताकि यह पता चल सके कि दीपक किस बात से परेशान था।
स्थानीय लोगों का मानना है कि पढ़ाई या करियर से जुड़े तनाव के कारण युवक ने यह कदम उठाया होगा, लेकिन पुलिस का कहना है कि अभी किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और परिवार के सदस्यों के बयानों के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
समाज पर गहराती मानसिक स्वास्थ्य की समस्या
यह घटना एक बार फिर समाज में बढ़ रहे मानसिक तनाव और अवसाद की समस्या की ओर इशारा करती है। खासकर युवाओं में करियर और भविष्य की अनिश्चितता के चलते इस तरह के कदम उठाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे समय में परिवारों को अपने बच्चों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए और उन्हें भावनात्मक सहारा देना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति तनाव में है, तो उसे तुरंत पेशेवर मदद (मनोचिकित्सक) लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
दीपक की असमय मौत ने न सिर्फ उसके परिवार को गहरा सदमा पहुँचाया है, बल्कि पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया है। उसके दोस्त और परिजन इस बात को लेकर बेहद दुखी हैं कि अगर उन्होंने समय रहते उसकी परेशानी को समझ लिया होता, तो शायद यह अनहोनी टाली जा सकती थी।
