टीबी से स्वस्थ होकर सुमित बने दूसरों के मददगार
टेलीफोन के जरिये 117 टीबी मरीजों को दे रहे परामर्श
गोरखपुर, 31 जनवरी 2023|
बड़हलगंज के 29 वर्षीय युवा सुमित सर्दी-खांसी की शिकायत पर मेडिकल स्टोर से दवा लेकर सेवन कर ही रहे थे कि तभी एक दिन अख़बार में पढ़ा कि लम्बे समय तक बनी रहने वाली सर्दी-खांसी और बुखार टीबी हो सकती है | यह पढ़कर वह स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे और चिकित्सक को दिक्कत बताई | जाँच करायी तो टीबी की पुष्टि हुई | ऐसे में वह घबरा गए कि इससे कैसे मुक्ति मिलेगी, चिकित्सक ने भरोसा दिलाया कि दवा के नियमित सेवन और पोषक आहार लेने से वह जल्दी ही स्वस्थ हो जायेंगे क्योंकि वह इलाज के लिए समय से पहुँच गए हैं| परिवार वालों ने भी बीमारी के वक्त पूरा साथ दिया | अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं | स्वस्थ होने के बाद सुमित टीबी चैम्पियन के रूप में मरीजों को टेलीफोनिक सलाह देकर उनका हौसला बढ़ा रहे हैं । इस समय वह 117 टीबी मरीजों को सम्पर्क में हैं और बराबर परामर्श दे रहे हैं।
सुमित बताते हैं कि मई 2021 में सर्दी और खांसी की दिक्कत हुई । शुरू में मेडिकल स्टोर से दवा खरीद कर खाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ । अखबार में टीबी के लक्षण पढ़कर बड़हलगंज सीएचसी जाकर जांच कराई । जून 2021 में टीबी की पुष्टि हुई। सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर(एसटीएस) विमलेश व एसटीएलएस फिरोज ने बताया कि घबराने की जरूरत नहीं है । टीबी का इलाज पूरी तरह से संभव है, बस दवा बंद नहीं करनी है । उन्हें दवाएं दी गईं और बैंक खाते का विवरण भी लिया गया ।
सुमित की एचआईवी व मधुमेह की भी जांच हुई जो निगेटिव थी। पूरे परिवार की टीबी स्क्रिनिंग व जांच की गयी, जिसमें कोई भी टीबी ग्रसित नहीं मिला । पत्नी और बच्चे को ससुराल भेज दिया और घर में ही खुद को आइसोलेट कर लिया और दवा का सेवन करने लगे । उनके पिता भोला ने भी उनका समय समय पर मनोबल बढ़ाया । इलाज के दौरान मांसाहार दाल, सलाद, पनीर और हरी साग सब्जियों का सेवन किया । बीमारी के लक्षण दो महीने में ही बंद हो गये लेकिन दवा जारी रखा । वह टाइल्स के कार्य से जुड़े हुए थे, लेकिन बीमारी के कारण वह कार्य भी छूट गया। मुश्किल समय में पोषक आहार लेने में निक्षय पोषण योजना के तहत मिलने वाली रकम मददगार बनी। इसके तहत एक बार 1000 रुपये और दूसरी बार 2000 रुपये एक साथ मिले। बाहरी लोगों को बीमारी के बारे में पता नहीं था इसलिए भेदभाव का शिकार नहीं होना पड़ा । परिवार ने काफी मदद किया । दिसम्बर 2021 में पूरी तरह से ठीक हो गये ।
एसटीएलएस ने किया प्रेरित
एसटीएलएस फिरोज ने बताया कि वर्ल्ड विजन इंडिया संस्था टीबी चैम्पियन का योगदान ले रही है जिससे जुड़ कर उन्हें कुछ पैसे भी मिलेंगे और वह टीबी मरीजों की मदद भी कर सकेंगे। बीमारी के कारण टाइल्स का काम भी छूट गया था और टीबी चैम्पियन का कार्य सामाजिक था, इसलिए टीबी चैंम्पियन बनने का निर्णय लिया। संस्था ने प्रशिक्षित किया और सिखाया कि टीबी मरीजों को सभी जानकारियां देनी हैं और आवश्यकता पड़ने पर उनके घर भी जाना है। अक्टूबर 2022 से लेकर अब तक 70 पुरुष और 47 महिला टीबी रोगियों की लाइन लिस्टिंग कर उनके सम्पर्क में हैं। मरीजों को पहली कॉल दवा शुरू करने पर, दूसरी कॉल 30 दिन पर, तीसरी कॉल 56 से 60 दिन पर और चौथी कॉल चार महीने पर करनी होती है।
बढ़ता है आत्मबल
इंटर तक की पढ़ाई कर चुके 30 वर्षीय टीबी मरीज मंदीप (बदला नाम) का कहना है कि बड़हलगंज सीएचसी पर जांच में उनके भीतर टीबी की पुष्टि हुई थी। दवा शुरू होने के बाद सुमित ने उन्हें कॉल किया और बताया कि वह भी टीबी के मरीज रह चुके हैं और दवा से छह महीने में ही ठीक हो गये । दवा के साथ खानपान का विशेष ध्यान रखना होगा । यह भी बताया कि बैंक खाते का विवरण सीएचसी पर जमा करवा देंगे तो पांच सौ रुपये प्रति माह इलाज चलने तक पोषण के लिएमिलेंगे । मूंगफली, सोयाबीन, अंडा जैसे पौष्टिक व प्रोटीनयुक्त आहार लेने की सलाह दी। मंदीप का कहना है कि टीबी का पता चलने पर मन में जो डर पैदा हुआ था उसे दूर करने में सुमित ने काफी मदद की । बीमारी के लक्षण (अत्यधिक कमजोरी और भूख न लगना) एक माह में ही दूर हो गये लेकिन सुमित की सलाह से दवा जारी रखे हुए हैं और छह माह तक नियमित दवा लेंगे । टीबी चैम्पियन की उनके जिंदगी में अहम भूमिका है।
टीबी चैंम्पियन कर रहे हैं मदद
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश प्रसाद यादव का कहना है कि जिले में टीबी चैम्पियन मरीजों का मानसिक सम्बल बढ़ा रहे हैं । छह टीबी सपोर्ट हब पर बैठ कर और अन्य टीबी यूनिट पर टेलीफोनिक परामर्श के जरिये मरीजों को इनके द्वारा मानसिक सम्बल दिया जा रहा है । टीबी के इलाज में मनोवैज्ञानिक सहयोग की अहम भूमिका है और इस दिशा में चैम्पियनबड़ा योगदान दे रहे हैं।