भारतीय राजनीति में दीनदयाल जी संस्कृत के सच्चे राजदूत…ज्योति बाबा
पंडित दीनदयाल जी तिलक,गांधी और सुभाष की परंपरा के अनुकरणीय उदाहरण..ज्योति बाबा
21वीं सदी का नया भारत गढ़ने में दीनदयाल जी आज भी प्रेरणास्रोत…ज्योति बाबा
कानपुर । पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्र के सजग प्रहरी व सच्चे राष्ट्रभक्त के रूप में भारतवासियों के सदैव प्रेरणा स्रोत रहें है, भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कई मौकों पर कहा है कि सामाजिक जीवन में एक नेता को कैसा होना चाहिए ,भारत के लोकतंत्र और मूल्यों को कैसे जीना चाहिए दीनदयाल जी इसके बहुत बड़े उदाहरण हैं राष्ट्र के विकास के संदर्भ में दीनदयाल उपाध्याय जी का मानना था किसी भी राष्ट्र का विकास अपनी जड़ों से कटकर नहीं हो सकता है भारत की जड़ों से जुड़ी ही राजनीति ,अर्थनीति एवं समाज नीति ही भारतवर्ष के भाग्य को बदलने का सामर्थ्य रखती है उपरोक्त बात नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल के तहत सोसायटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में नमो-नमो क्रांति फाउंडेशन,वरदान फाउंडेशन व मिदास परिवार के सहयोग से पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा के उपरांत हुई सेमिनार में अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख, नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल के नेशनल ब्रांड एंबेसडर योग गुरु ज्योति बाबा ने कही,ज्योति बाबा ने आगे कहा कि आचार्य कौटिल्य के अर्थशास्त्र,लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के गीता रहस्य एवं महात्मा गांधी के हिंद स्वराज के पश्चात पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी द्वारा प्रतिपादित एवं रचित एकात्म मानववाद एक महत्वपूर्ण राजनीतिक सिद्धांत के रूप में भारतीय समाज को एक अमूल्य योगदान है पंडित दीनदयाल उपाध्याय को हम सब की सच्ची सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि जब हम अखंड भारत की सोच से काम करते हुए सनातन संस्कृति को विस्तार देते हुए नशा मुक्त युवा भारत बनाने को कृत संकल्पित हो । मिडास परिवार के उपेंद्र मिश्रा व नमो नमो फाउंडेशन के शैलेंद्र पांडे ने संयुक्त रूप से कहा कि मोदी सरकार ने कोरोना काल में निर्भरता की शक्ति से पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय एवं एकात्म मानव दर्शन को सिद्ध किया,वरदान फाउंडेशन के कृष्णा शर्मा ने कहा कि दीनदयाल जी न केवल सच्चे लोकतंत्र के पुरोधा थे बल्कि भारतीय राजनीति में संस्कृत के सच्चे राजदूत थे श्रद्धांजलि सभा में अन्य प्रमुख सर्वश्री पंडित सुमित शास्त्री, यज्ञ कांत शुक्ला,रामस्वरूप वर्मा,राजा राठौर,अशोक श्रीवास्तव, दुर्गा प्रसाद साहू, संघप्रिय प्रजापति इत्यादि थे।