सीतापुर,पहले खुद समझा और अब दूसरों को समझा रहे फाइलेरिया मरीज

– फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप से जुड़ने के बाद आये बदलाव की कहानी उन्हीं की जुबानी

सीतापुर। “बीते 20 सालों से मेरा बायां पैर फाइलेरिया से ग्रसित है। मुझे कोई उम्मीद नहीं थी कि कभी इससे राहत मिलेगी। बहुत इलाज कराया लेकिन कोई आराम नहीं मिला। कुछ महीने पहले फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप (पीएसजी) के संपर्क में आई और सरकारी स्वास्थ्य सुविधा से जुड़कर प्रभावित अंगों की सही तरीके से साफ-सफाई और व्यायाम के बारे में जाना। इसे अपनाने से जीवन कुछ सरल हो गया। अब दूसरों को भी फाइलेरिया से बचाव के बारे में जागरूक कर रही हूं।” यह कहना है हरगांव ब्लॉक के मुद्रासन गांव की 40 वर्षीया माशूका का। वह मुद्राबाबा पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की सदस्य हैं।
हरगांव ब्लॉक के मुद्रासन, नवीनगर, मंगरूआ, बरियाडीह और कोरैया गांवों में पीएसजी हैं। स्वास्थ्य विभाग और ग्रुप के सदस्य गांव के शिक्षकों, प्रबुद्ध लोगों, बच्चों, राशन डीलर, मरीजों और ग्रामीणों तक इस बीमारी के बारे में जरूरी संदेश पहुंचा रहे हैं। पीएसजी के सदस्यों की बैठकों के बाद लोग बीमारी की गंभीरता को समझने लगे हैं और जागरूकता का वातावरण तैयार होने लगा है।
मुद्रासन गांव के 64 वर्षीय फाइलेरिया मरीज इकबाल हुसैन बताते हैं कि उन्हें 12 साल से दोनों पैरों में हाथीपांव की समस्या है। कई निजी डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। पीएसजी से जुड़ने के बाद पता चला कि सरकारी अस्पतालों में दवा पाना उनका अधिकार है। इसके बाद अब हरगांव सीएचसी से दवाएं लेना शुरू किया है। इसी गांव के 65 वर्षीय मुनेश कुमार बीते 25 सालों से फाइलेरिया से पीड़ित हैं। उनका दाहिना पैर फाइलेरिया ग्रसित हाथी पांव हो गया है। वह मुद्राबाबा पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के सदस्य हैं। वह बताते हैं जब से मुझे यह जानकारी हुई है कि फाइलेरिया बीमारी मच्छर के काटने से हाेती है, तब से पूरा परिवार मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी में सोता है। बुद्धबाबा पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की सदस्य 40 वर्षीया माया देवी बीते 20 सालों से फाइलेरिया से पीड़ित हैं। उनका दाहिना पैर हाथी पांव से प्रभावित है। उन्होंने रुग्णता प्रबन्धन व दिव्यांगता निवारण (एमएमडीपी) की ट्रेनिंग भी ले रखी है। वह बताती हैं है कि हाथीपांव की देखभाल, साफ-सफाई और पैर धोने व पोछने की जानकारी उन्हें ग्रुप से जुड़ने के बाद ही मिली है। इससे काफी लाभ भी हुआ है।
*इनसेट —*
*दूसरे गांवों में भी बनेंगे नेटवर्क —*
हरगांव सीएचसी के अधीक्षक डॉ. नीलेश वर्मा का कहना है कि अभी तक क्षेत्र के पांच गांवों में ही पीएसजी का गठन किया गया है, जल्द ही अन्य गांवों में भी समूहों का गठन कर मरीजों और ग्रामीणों को फाइलेरिया बीमारी के प्रति जागरूक करने का काम किया जाएगा। इसका असर न सिर्फ इन गांवों में बल्कि आसपास के गांवों में भी देखने को मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस अभियान में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था का सहयोग मिल रहा है।
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*फाइलेरिया को लेकर बढ़ी समझ —*
जिला मलेरिया अधिकारी एके सारस्वत का कहना है कि गांवों में पेशेंट सपोर्ट ग्रुप बन जाने से मरीजों और ग्रामीणों में फाइलेरिया को लेकर समझ बढ़ी है। सर्वजन दवा सेवन अभियान (आईडीए/एमडीए) के दौरान इसका लाभ भी मिलेगा। पीएसजी के माध्यम से लोगों को बताया जा रहा है कि फाइलेरिया (हाथीपांव) की बीमारी लाइलाज है और इसे उचित देखभाल, दवा व व्यायाम से केवल नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही हाइड्रोसील बीमारी की पहचान कर सर्जरी भी कराई जा रही है।

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