कानपुर,जन्मजात गंभीर बीमारी है डाउन सिंड्रोम नवजात में डाउन सिंड्रोम का है खतरा तो रहें सतर्क

विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस आज (21 मार्च)

राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम से डाउन सिंड्रोम की शीघ्र पहचान व प्रबंधन संभव

कानपुर , 20 मार्च 2023

अगर कोई मासूम हंसमुख, भावुक और शर्मीले स्वभाव का है। वह देखने में गोल-मटोल, चपटा चेहरा, आंखें तिरछी, पलकें छोटी और चौड़ी, नाक चपटी, कान छोटा, इसकी ऊंगलियां छोटी और पैर के तलवे सपाट हैं। उसका मानसिक विकास हमउम्र बच्चों से काफी कम है तो सतर्क होने की ज़रूरत है । क्योंकि हो सकता है आपका बच्चा डाउन सिंड्रोम का शिकार हो । डाउन सिंड्रोम जन्मजात गंभीर बीमारी है।

एक अतिरिक्त क्रोमोसोम से होती है यह बीमारी

एसएनसीयू इंचार्ज और वरिष्ठ बाल रोग विषेशज्ञ डॉ शिव कुमार ने बताया कि यह बीमारी नवजात को मां के गर्भ में ही होती है। डाउन सिंड्रोम शरीर में क्रोमोसोम की असामान्य संख्या की वजह से होता है। सामान्य तौर पर व्यक्ति के शरीर में 46 क्रोमोसोम होते हैं। इनमें से 23 क्रोमोसोम(गुणसूत्र) मां के और 23 पिता के जीन से मिलते हैँ। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित नवजात में 47 क्रोमोसोम आ जाते हैं। क्रोमोसोम का एक अतिरिक्त जोड़ा शरीर और मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है। ज्यादातर मामलों में संतान को अतिरिक्त क्रोमोसोम मां के जीन से मिलता है। अतिरिक्त क्रोमोसोम को ट्राइसोमी 21 कहते हैं।
देर से पहचान से बढ़ती है परेशानी

राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम से मिल सकती है सलाह

राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के डीईआईसी मैनेजर अजीत सिंह बताते हैं की इस कार्यक्रम में डाउन सिंड्रोम की जांच, शीघ्र रोग की पहचान और निशुल्क प्रबंधन शामिल है। उन्होंने बताया कि डाउन सिंड्रोम की वजह से बच्चे में कई प्रकार की बीमारियां होती हैं। ऐसे में अभिभावकों का सतर्क होना जरूरी है। ऐसे बच्चों को अभिभावकों के विशेष निगरानी की आवश्यक्ता होती है। मानसिक रोग के साथ ही बच्चे को दिल और सांस की बीमारी हो सकती है। समय से बीमारी की पहचान कर डॉक्टर से इलाज कराएं। दिल की जांच जरूर समय-समय पर कराते रहें। यह बच्चे संगीत के शौकीन होते हैं। वह गाड़ी का हार्न सुनकर सड़क की तरफ दौड़ने लगते हैं। ऐसे में वह हादसे का शिकार हो जाते हैं।

यह भी जानें

विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस प्रतिवर्ष दिनांक 21 मार्च को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस की घोषणा वर्ष 2012 को की थी। इसके बाद वर्ष 2012 से पूरी दुनिया में विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया जाने लगा। इस दिवस का उद्देश्य सार्वजनिक जागरूकता और डाउन सिंड्रोम की समझ को बढ़ाना है।

डाउन सिंड्रोम की पहचान

  • चपटा चेहरा, खासकर नाक चपटी
  • ऊपर की ओर झुकी हुई आंखें
  • छोटी गर्दन और छोटे कान
  • मुंह से बाहर निकलती रहने वाली जीभ
  • मांसपेशियों में कमजोरी, ढीले जोड़ और अत्यधिक लचीलापन
  • चौड़े, छोटे हाथ, हथेली में एक लकीर
  • अपेक्षाकृत छोटी अंगुलियां, छोटे हाथ और पांव
  • छोटा कद
  • आंख की पुतली में छोटे सफेद धब्बे

डाउन सिंड्रोम से पीड़ित मरीजों में लक्षण

  • सुनने की क्षमता कम होना
  • कानों का संक्रमण
  • नजर कमजोर होना
  • आंखों में मोतियाबिंद होना
  • जन्म के समय दिल में विकृति
  • थॉयरॉयड
  • आंतों में संक्रमण
  • एनीमिया
  • मोटापा

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