- नवरात्र के शनिवार को ही होते हैं मां के दर्शन
सीतापुर। नवरात्र महापर्व की चतुर्थी शनिवार को कालीपीठ पर अभीष्ठ फल देने वाली मां धूमावती के दर्शन करने के लिए पूरे दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन कर उन्हें काले तिल की पोटली व नारियल का गोला अर्पित किया। इस मौके पर सुहागिनों ने अपने पति की दीर्घायु होने की कामना भी की।
मां धूमावती के दर्शन करने को सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होने लगी थी। इससे पूर्व कालीपीठ के पीठाधीश्वर एवं ललिता देवी मंदिर के प्रधान पुजारी गोपाल शास्त्री ने मां धूमावती की मूर्ति पर पड़े पर्दे को हटाकर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां का अभिषेक कर श्रंगार किया और आरती की। इसके बाद दर्शनार्थियों को लिए माता का दरबार लगा दिया गया। ज्ञातव्य हो कि नवरात्र के शनिवार को ही माता धूमावती के पट खोले जाते हैं और तभी उनके दर्शन संभव हैं।
नैमिषारण्य काली पीठ में स्थित एक मात्र माता धूमावती का मंदिर है। कालीपीठ के पीठाधीश्वर गोपाल शास्त्री ने भी मां की महिमा का गुणगान करते हुए बताया कि दस महाविद्या उग्र देवी धूमावती देवी का स्वरूप विधवा का है। कौवा इनका वाहन है, वह श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं। खुले केश उनके रूप को और भी भयंकर बना देते हैं। इसी कारण से मां धूमावती के प्रतिदिन दर्शन न करने की परंपरा है। उन्होंने बताया कि सुहागिनें मां धूमावती का पूजन नहीं करती हैं। वह केवल दूर से ही मां के दर्शन कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि मां धूमावती के दर्शन से सुहागिनों का सुहाग अमर हो जाता है। पुत्र और पति की रक्षा के लिए इनके दर्शन अवश्य करने चाहिए।