हरदोई, महिलाओं के हित संरक्षण कानून एवं अधिकार विषय पर हुआ विधिक जागरूकता शिविर

हरदोई।राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं राष्ट्रीय महिला आयोग के दिशा निर्देश के संयुक्त तत्वाधान में उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ के दिशा निर्देश के क्रम में महिलाओं के हित संरक्षण कानून संबंधी विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन तहसील बिलग्राम के सभागार में अपर जिला जज सुधाकर दुबे की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।


जिसमे पैनल अधिवक्ता रश्मी गुप्ता व समता शर्मा ने सभागार में उपस्थित ग्रामीण महिलाओं को महिला सशक्तिकरण के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी तथा घरेलू हिंसा उत्पीडन अधिनियम 2005 व भारतीय दंड संहिता के बारे में बताया है जिसके अन्तर्गत यदि कोई पुरुष किसी महिला की गरिमा का उल्घंन करता है, मानसिक रुप से परेशान करना, जबरदस्ती शारीरिक सम्बन्ध बनाना या अश्लील विडियो सामग्री देखने के लिये मजबूर करना या दहेज के नाम पर प्रताड़ित करता है। ऐसी पीड़ित महिला भारतीय दण्ड सहिंता के तहत क्रिमिनल याचिका दायर कर सकती हैं इसमे प्रतिवादी को सजा भी हो सकती है। शिविर में उपस्थित डॉ0 ऋतु गुप्ता के सर्वाइकल कैंसर के बारे में बताया कि यह महिलाओं में पाई जाने वाली एक खतरनाक बीमारी है इससे बचाव के लिए महिलाएं अपना चिकित्सीय परीक्षण कराये तथा टीकाकरण करवाएं तथा पी0सी0पी0एन0डी0टी0 एक्ट के बारे में बताते हुए कहा किसी महिला के भ्रूण का परीक्षण एक कानूनी अपराध है। नायब तहसीलदार देशराज भारती ,सुश्री ज्योति वर्मा द्वारा सरकार द्वारा महिलाओं के लिए चलाई जा रहीकल्याणकारी योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी सभागार में उपस्थित महिलाओं को दी गई। बाल कल्याण समिति की सदस्या वंदना तिवारी द्वारा बताया गया कि बच्चों की सुरक्षा के लिए बाल कल्याण समिति का गठन जिला स्तर पर किया गया है जिन बच्चों की उम्र 18 वर्ष से कम होती है उन बच्चों के वादों की सुनवाई बाल कल्याण समिति के द्वारा की जाती है ,उन्होंने साइबर क्राइम के बारे में भी जानकारी दी। उपजिलाधिकारी बिलग्राम संजीव ओझा द्वारा बताया गया कि किसी भी व्यक्ति को सशक्त होने के लिए पहले शारीरिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक है चाहे वह लड़का हो या लड़की ।लड़का और लड़की में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए दोनों को एक समान रूप से समाज में अधिकार मिलना चाहिए। अपर जिला जज सुधाकर दुबे द्वारा सभागार में उपस्थित ग्रामीण महिलाओ को कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकथाम निषेध और निवारण अधिनियम 2013, आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2013, अनैतिक व्यापार रोकथाम अधिनियम 1956 ,दहेज निषेध भरण पोषण अधिनियम, मातृत्व लाभ अधिनियम 2017 व पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी तथा कहा कि घरों मे छोटी-छोटी बातो को लेकर बहूओं पर ताने मारने वाली भाषा के इस्तेमाल से बचें और नई नवेली बहुओं से व्यवहारिक भाषा में बातचीत करें ताकि घरों में होने वाली हिंसा से बचा जा सके।उन्होने लैंगिक अपराध से बालकों के संरक्षण अधिनियम 2012 तथा भ्रूण हत्या के बारे मे भी जानकारी दी तथा सभागार में उपस्थित महिलाओं को प्रशिक्षण संबंधी सामग्री का वितरण किया गया शिविर का संचालन फरहान सागरी द्वारा किया गया। इस अवसर पर अधिक संख्या में महिलाएं तहसील के कर्मचारी व परा विधिक स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *