लखीमपुर खीरी, फाइलेरिया से बचाव को साल में एक बार तीन साल लगातार खाएं दवा

– दवा के सेवन से लिम्फोडिमा व हाइड्रोसील के संक्रमण से होगा बचाव

लखीमपुर खीरी। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 10 से 28 अगस्त के बीच सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलाएगा। इस दौरान स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएंगे। इस दवा के सेवन से लिम्फोडिमा (हाथ, पांव और स्तन में सूजन) व हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) के संक्रमण से बचाव होगा। इस दवा का साल में एक बार एवं तीन साल तक लगातार सेवन करने से फाइलेरिया से बचाव होता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया से बचने का उपाय समय पर फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करना है। 
यह जानकारी देते हुए सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता ने बताया कि फाइलेरियारोधी दवा का सेवन एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। एक से दो वर्ष की आयु के बच्चों को केवल एल्बेंडाजोल की आधी गोली ही खिलाई जाएगी। आइवरमेक्टिन की गोली ऊंचाई के अनुसार और एल्बेंडाजोल की गोली को चबाकर ही खाना है। इस अभियान के दौरान एएनएमए, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवाएं अपने सामने ही खिलाएंगी, ध्यान रखें कि दवा खाली पेट नहीं खानी है।
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*खाली पेट नहीं खानी है दवा —*
कार्यक्रम के नोडल अफसर और उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी (वीबीडी) डॉ. धनीराम ने बताया कि फाइलेरियारोधी दवा का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही करवाएंगे। दवा खाली पेट नहीं खानी है। दवा खाने के बाद किसी-किसी को जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आना, सिर दर्द, खुजली की शिकायत हो सकती है, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है।
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*बूथ लगाकर खिलाएंगे दवा —*
फाइलेरिया निरीक्षक सैय्यद अनस अहमद ने बताया कि मितौली, बिजुआ और निघासन ब्लॉक के साथ ही लखीमपुर के शहरी क्षेत्र में माइक्रो फाइलेरिया रेट (एमएफआर) एक प्रतिशत से कम होने के कारण इन क्षेत्रों में आईडीए राउंड नहीं चलाया जाएगा। इन क्षेत्रों में तीनों सीएचसी सहित शहर के बस अड्डा, रेलवे स्टेशन, महिला व पुरुष अस्पताल, में बूथ लगाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएंगे। इसके अलावा दो टीमें कारागार, कलेक्ट्रेट, विकास भवन, एसएसबी कैंप आदि स्थलों पर जाकर लोगों को दवा खिलाने का काम कराएंगी। उन्होंने बताया कि इन क्षेत्रों में शीघ्र ही ट्रांसमिशन असेस्मेंट सर्वे (टास) यानि संचरण मूल्यांकन सर्वेक्षण कराया जाएगा। यदि टास रिपोर्ट अर्थात माइक्रो फाइलेरिया (एमएफ) रेट यदि एक प्रतिशत से अधिक हाेगा तो इन क्षेत्रों में फरवरी 2024 में घर-घर जाकर दवा खिलाने का अभियान चलाया जाएगा।

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