जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35-ए हटाये जाने के चार वर्ष पूर्ण हो गए हैं और राष्ट्र इसके महत्वपूर्ण परिणामों की व्यापक अनुभूति कर रहा है। जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद वहां शान्ति और विकास का एक नया युग प्रारम्भ हुआ है। श्रीनगर में जी -20 की बैठकें बहुत ही शांत व सुरम्य वातावरण में संपन्न हुयी हैं।
चीन और पाकिस्तान ने जी -20 की बैठकों में खलल डालने का हर संभव प्रयास किया किंतु वह नाकाम रहे। स्वतंत्रता के बाद श्रीनगर में पहली बार कोई अंतरराष्ट्रीय आयोजन सफलतापूर्वक किया गया। यह जम्मू कश्मीर ही नहीं संपूर्ण भारत के लिए गर्व के पल रहे।
जम्मू कश्मीर में पर्यटन उड़ान भर रहा है। उत्तरी कश्मीर का बांदीपोर जिला पर्यटन के नये केंद्र के रूप में पहचान बना रहा है। यहां वुलर झील के किनारे स्थित जुरीगंज हो या फिर गुलाम कश्मीर और जम्मू कश्मीर को अलग करने वाली नियंत्रण रेखा से सटा गुरेज पूरे जिले में पर्व जैसा वातावरण है। एक समय इस जिले के जंगलों में आतंकियां ने प्रशिक्षण केंद्र खोल रखे थे और वह हथियारबंद होकर जिले में टहला करते थे। अब वहां पर्यटकों के शिविर लगे हैं। श्रीनगर की डल झील में शिकारे वापस आ गए हैं ।
जम्मू कश्मीर के प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों की घंटियों और आरती के स्वरों से वातावरण पवित्र हो रहा है। 75 वर्षों के सतत उत्पीड़न के पश्चात कश्मीर में हिंदू पर्व फिर मनाये जाने के प्रयास हो रहे हैं। श्रीनगर घाटी में भी विजयदशमी की धूमधाम व उत्साह वापस दिखने लगा है। जम्मू कश्मीर में सिनेमाघर खुल गये हैं और फिल्मों की शूटिंग भी फिर से होने लगी है।
स्कूलो में रौनक वापस आयी – जम्मू कश्मीर में आतंकवाद व अलगावाद के कारण 2008 से 2021 तक (इसमें 20-21 का कोविड काल भी है) के लम्बे समय में स्कूल -कालेज प्रायः बंद रहे किंतु अब बच्चों के चेहरे पर मुस्कान वापस आ गयी है नहीं तो एक समय वह भी था जब आतंकवादी हरकतों का शिकार वहां के स्कूल बच्चे व शिक्षक भी हुआ करते थे। बच्चियों को हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया जाता था किंतु अब स्थितियां बदल गयी हैं।
जम्मू कश्मीर का युवा पत्थर और हथियार छोड़ कर विकास की गंगा के साथ खड़ा हो रहा है। वह फुटबाल, क्रिकेट, हाकी और कुश्ती के दांवपेच सीख रहा है। धारा -370 समाप्त होने के बाद यहाँ पंचायत चुनाव शान्तिपूर्वक और बिना किसी भेदभाव के साथ संपन्न हुए हैं। बदले परिवेश में निवेशक भी यहां निवेश करने के लिए आकर्षित हो रहे हैं।
अतंकवाद पर नियंत्रण- आतंकवाद विरोधी कड़ी कार्यवाहियों के कारण आतंक समर्थक ईको सिस्टम काफी नियत्रिंत ही नहीं अपितु कई जिलों में पूरी तरह समाप्त हो चुका है। इसका पता इसी से चलता है कि 2018 में आतंकियों की भर्ती 199 से गिरकर 2023 में 12 रह गयी है। 2018 में बंद व हड़ताल की 53 घटनाएं हुई थीं जो 2023 में अब तक शून्य हैं। 2018 में संगठित पत्थरबाजी की कुल घटनाएं 1,769 थीं जो 2023 में अभी तक शून्य हैं। जम्मू कश्मीर में इस वर्ष 27 से अधिक आतंकी मारे जा चुके हैं।
राज्य में अलगाववाद और पत्थरबाजी काफी कम हो गयी है और अब जो घटनाएं घट रही हैं वह केवल बचे -खुचे लोगों की एक भड़ास है जो कभी -कभी फूटती रहती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि लाख प्रयास करने के बाद भी आतंकवादी किसी बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दे पा रहे हैं। सुरक्षाबलों ने अनेक अवसरों पर आतंकी वारदातें करने की साजिशों को नाकाम किया है। जब राज्य में 370 लगी हुई थी उस समय यहाँ सुरक्षाबलों की आवाजाही नहीं हो पाती थी और पत्थरबाजी होने पर व भारत विरोधी नारेबाजी होने पर सुरक्षाकर्मी मूक दर्शक बनकर खड़े रहते थे किंतु अब ऐसी परिस्थितियां नहीं हैं।
धारा-370 आौर 35-ए को समाप्त करने के लिए संसद ने कानून पारित किया और राष्ट्रपति ने अपनी अनुमति प्रदान करी। कुछ अलगाववादी लोग जो इन अनुच्छेदों का उपयोग अपने निहित स्वार्थों के लिये किया करते थे सुप्रीम कोर्ट चले गये। जम्मू कश्मीर के जो परिवारवादी, स्वार्थवादी, अलगावादी राजनेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को बड़ी जनसभाओं में चेतावनी देते थे कि इन अनुच्छेदों को कभी भी हटाया नहीं जा सकता आज उन सभी के चेहरे पे हवाईयां उड़ रही हैं। जो लोग सरकार को चुनौती दे रहे थे कि अगर इन धाराओं को हटाया गया तो घाटी में कोई तिरंगा फहराने वाला नहीं मिलेगा आज वह सभी हतप्रभ हैं। केंद्र सरकार व सुरक्षाबलों की सुनियोजित रणनीति से आज अलगावावादी नेताओं, पत्थरबाजों तथा दो -तीन परिवारवादी नेताओं की कश्मीर की धरती से जड़ें हिल चुकी हैं यहीं कारण है कि यह लोग किसी न किसी प्रकार से जम्मू कश्मीर का वातावरण बिगाड़ने के लिये ताक पर बैठे हैं तथा राज्य व देश के किसी भी हिस्से में झूठी अफवाहों के आधार पर हिंसा फैलाने व आतंकवाद को फिर से जीवित करने का अवसर खोज रहे हैं।
जम्मू कश्मीर में खून की नदियाँ बहाने की धमकी देने वाले लोगों की आंखें फटी की फटी रह गयी हैं कि आज पूरे जम्मू कश्मीर में तिरंगा फहराया जा रहा है। जम्मू ही नहीं अपितु पूरी घाटी में प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी के हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत यहां हर घर मे तिरंगा फहराया गया। पूरी घाटी उत्सव में डूबी रही। पुलवामा, शोपियां, अनंतनाग सहित कश्मीर घाटी के सभी आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया जाने लगा है। वहां के नागरिक हाथों में तिरंगा लेकर वंदेमातरम के नारों के साथ झूम रहे हैं ।
कश्मीर की इस शांति को भंग करने के लिए पाकिस्तान व उसके पाले हुए आतंकवादी तथा अलगाववादी नेता पूरा जलगाने प्रयास कर रहे है। उनकी साजिशें लगातार जारी हैं। पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा के साथ यहां के सभी भाजपा व संघ विरोधी दल व देशद्रोही ताकतें जिन्हें आस्तीन का सांप भी कहा जा सकता है वह दिनरात बेनकाब हो रहे हैं ।अब शांतिभंग का प्रयास करने वालों व उनके संगठन को भी आतंकवादी संगठन घोषित कर प्रतिबंधित किया जा सकेगा। जब आतंकवादी संगठनों व पाकिस्तानी माडयूल्स के लोग इतनी आसानी से शान्ति भंग नहीं कर पायेंगे।
भारत सरकार की कुशल रणनीति के कारण आज पाकिस्तान वैश्विक मंचों पर अलग-थलग पड़ चुका है। वह बार बार यूएन जाता है लेकिन अब उसे मात ही खानी पड़ रही है। घबराया और डरा हुआ पाकिस्तान जिसके आर्थिक हालात बहुत नाजुक है वह कुछ भी कर सकता है। अतः खुशी के वातवारण में कहीं रंग में भंग न पड़ जाये इसलिये अब और अधिक सतर्कता की आवश्यकता है।
घर के अंदर के बैठे राष्ट्र विरोधी भी लगातार साजिशें रच रहे हैं तथा अवसर की खोज में हैं और यही कारण है कि यद्यपि जम्मू -कश्मीर में धारा -370 और 35ए अब इतिहास बन चुका है और जम्मू कश्मीर में उन्नति का सूर्योदय हो चुका है तथापि देश विरोधी तत्वों द्वारा केंद्र सरकार के इस निर्णय के विरुद्ध दायर याचिकाओं पर भी सुप्रीम कोर्ट को चार वर्ष पश्चात सुनवाई करनी पड़ रही है ।