हरदोई। करावां में प्रेमरावत टीम द्वारा आयोजित मानवता एवं शांति सन्देश शिविर में वीडियो प्रोजेक्टर के माध्यम से विश्व शांति शिक्षा कार्यक्रम के संस्थापक एवं विश्व शांति दूत प्रेम रावत जी नें कहा एक समय था कि द्रौपदी को मालूम पड़ा कि कोई बहुत पहुंचे हुए संत आए हैं और उनके दर्शन करने के लिए जाना चाहिए। तो द्रौपदी तैयार हुई और गई और जो संत आए हुए थे, वो और कोई नहीं थे वो थे वेद व्यास जी।
तो वो वेद व्यास जी के पास गई, कहा: ‘‘महाराज! मुझे आप बताइए, मेरा भविष्य क्या है ?’’ इस पर वेद व्यास जी हँसते हैं, उससे कहते हैं: ‘‘मेरे को मालूम है तेरा भविष्य क्या है। तेरी वजह से करोड़ों लोग मरेंगे, तेरी वजह से खून की नदियां बहेंगी।’’
द्रौपदी कहती है: ‘‘महाराज! मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से करोड़ों लोग मरें। मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से खून की नदियां बहें। कोई उपाय बताइए।’’
वेद व्यास जी — देखिए, उस समय वो लिख रहे हैं महाभारत! तो वो कह सकते हैं द्रौपदी को कि कोई उपाय नहीं है। यह तो होगा ही!
परंतु फिर भी — क्योंकि वो दयालु हैं, वो द्रौपदी से कहते हैं, ‘‘ठीक है! मैं तेरे को बताता हूं। अगर तू नहीं चाहती है कि तेरी वजह से करोड़ों लोग मरें, तेरी वजह से खून की नदियां बहें तो मैं तेरे को एक इलाज बताता हूं। तीन चीजें अगर तू करेगी तो ये कुछ नहीं होगा। खून की नदियां नहीं बहेंगी, करोड़ों लोग नहीं मरेंगे। तीन चीजें — सिर्फ तेरे को तीन चीजें करनी हैं।’’
कहा, ‘‘क्या ?’’
ध्यान से सुनिए! ध्यान से सुनिए! आप भी इसको अपना सकते हैं, पर ध्यान से सुनिए!
तो वेद व्यास जी कहते हैं, ‘‘एक, किसी का अपमान मत करना। किसी का अपमान मत करना। और अगर कोई तेरा अपमान करे तो गुस्सा मत होना।’’
सुन रहे हो न मेरी बात ?
‘‘एक — किसी का अपमान नहीं करना। दूसरा — अगर कोई तुम्हारा अपमान करे तो गुस्सा मत होना और तीसरी चीज — अगर किसी ने तुम्हारा अपमान भी किया और तुम गुस्सा भी हो गए तो तीसरी चीज क्या नहीं करनी है ? बदला मत लेना। ये तीन चीज अगर तू करेगी द्रौपदी तो तेरे कारण कोई नहीं मरेगा। तेरे कारण कोई खून की नदियां नहीं बहेंगी।’’
खैर! महाभारत की कथा सुनी होगी! भइया! वो कथा नहीं है। यह महाभारत तो अब हो रही है। वो कोई कहानी नहीं है। यह तो यहां हो रही है और तुम हो, तुम पर निर्भर है, तुम पर निर्भर है। वो सिर्फ कहानी नहीं है, वो तो असली चीज है और इस कहानी के बीच में अगर तुम तीन चीज कर सके — किसी का अपमान नहीं करो। कोई तुम्हारा अपमान करे तो गुस्सा मत हो और अगर गुस्सा हो भी जाओ तो बदला मत लो। अगर ये तीन काम तुम कर सके तो यह दूसरी महाभारत बनेगी, जिसमें लड़ाई नहीं है — सिर्फ ज्ञान है, जिसमें आनंद है, जिसमें सब लोग मिलके रहते हैं।
महाभारत भी तुम्हारा भविष्य है और एक और भविष्य है तुम्हारा, जिसमें तुम शांति से, आनंद से, अपनी जिन्दगी गुजार सकते हो। यह भी संभावना है। तुमको यह पसंद करना पड़ेगा कि तुम क्या चाहते हो ? लड़ाई चाहते हो या शांति चाहते हो ? जबतक तुम अपनी जिन्दगी के अंदर यह संकल्प नहीं करोगे कि तुमको क्या चाहिए, यह महाभारत की लड़ाई एक ही दिन नहीं, दूसरे दिन भी होगी, तीसरे दिन भी होगी, चौथे दिन भी होगी, पांचवे दिन भी होगी। जब से उठोगे तब से और शाम तक यह महाभारत की लड़ाई होती रहेगी तुम्हारे हर दिन, जबतक तुम्हारा यह स्वांस पूरा नहीं होता है।
तीन चीजें! पर ये वही कर सकता है, ये वही कर सकता है — जिसकी भुजाओं में नहीं, जो अपने आत्मबल को समझता है। एक बल यह है, एक बल यह है {भुजाओं का बल} और एक बल अंदर का है। यह बल {भुजाओं का बल} तो तुम उठक-बैठक करके बना सकते हो, परंतु फिर भी एक ऐसा समय आएगा कि यह बल तुम्हारा काम नहीं करेगा।
प्रेम रावत जी ने कहा परंतु अंदर का जो बल है, आत्मा का जो बल है, अगर उसमें तुम ताकतवर हो तो वो ऐसा बल है कि तुमको बलवान बनाएगा कब तक ? जबतक तुम आखिरी स्वांस नहीं ले लेते। वो है असली बल! वो है असली बल! मैं कहता हूं उस बल में बलवान बनो। जिस बली के पास वो बल है, वो नफरत के बाण नहीं चलाता है, वो दया के बाण चलाता है। शांति के इस शिविर में भव्यता देखते ही बनती है स्वयंसेवक अपनी अपनी सेवाओं का निर्वहन कर रहे हैं भीषण सर्दी के बावजूद यहां कार्यक्रम के आयोजकों का और स्वयंसेवकों का उत्साह देखते ही बनता है।