इटावा,बच्चों को मीजल्स-रूबेला से बचाने के लिए 9 जनवरी से शुरू होगा विशेष टीकाकरण पखवाड़ा

मीजल्स रूबेला उन्मूलन कार्यक्रम के तहत तीन चरण में चलाया जाएगा टीकाकरण पखवाड़ा

इटावा 6 जनवरी 2023

बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए नियमित टीकाकरण अत्यंत प्रभावी होता है इसी क्रम में खसरा और रूबेला (एमआर) से बचाव के लिए विशेष टीकाकरण पखवाड़ा तीन चरणों में चलाया जाएगा यह जानकारी जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ श्रीनिवास ने दी। उन्होंने बताया कि 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों को विशेष टीकाकरण अभियान के तहत पहला चरण 9 जनवरी से 20 जनवरी तक और दूसरा चरण 13 फरवरी से 24 फरवरी तक, तीसरा चरण 13 मार्च से 24 मार्च तक संपन्न होगा।

मीजल्स-रूबेला क्या है?
डीआईओ ने बताया कि मीजल्स रूबेला रोग संक्रामक वायरस के कारण होने वाला एक संक्रमण रोग है। इसे ‘जर्मन खसरा’ भी कहा जाता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी आसानी से फैल सकता है। खसरा होने पर इसमें पूरे शरीर पर लाल चकत्ते उभर आते हैं। खसरा होने पर यह लाल दाने शरूआत में सिर पर होते हैं और फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर पर फैल जाते हैं दानों में खुजली और जलन होती है व बच्चे को तेज बुखार आता है।

टीकाकरण ही बचाव है
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि खसरा से बचने के लिए टीकाकरण करवाने पर बच्चे को संक्रामक बीमारी का खतरा बहुत कम हो जाता है और बच्चा खसरे से असहज दाने,तेज बुखार और बीमारी व संक्रमण से सुरक्षित हो जाता है।इसीलिए इस बीमारी से बचने के लिए बच्चों का टीकाकरण अवश्य करवाएं क्योंकि टीकाकरण ही बचाव है।

डॉ श्रीनिवास ने बताया कि जनपद के सभी ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों का निर्धारित प्रारूप पर हेडकाउंट सर्वे आशाओं द्वारा किया जाएगा व यह सूचनाओं को ई- कवच पोर्टल पर अपडेट किया जाएगा । खसरा से बचाव के लिए मीजल्स रूबेला (एमआर )विशेष टीकाकरण अभियान के तहत माइक्रोप्लान तैयार कर विशेष सत्रों में टीकाकरण किया जाएगा और हाई रिस्क एरिया,मलिन बस्तियों और नयमित टीकाकरण से छूटे बच्चों को भी माइक्रो प्लान में शामिल कर लक्षित लाभार्थियों का टीकाकरण सुनिश्चित किया जाएगा।
डीआईओ ने बताया कि जनपद में अप्रैल -दिसंबर2022 तक लगभग मीजल्स रूबेला टीकाकरण लगभग 65 प्रतिशत पूर्ण किया जा चुका है 9 जनवरी से शुरू होने वाले विशेष टीकाकरण पखवाड़ा के तहत चलाए जाने वाले तीन चरणों में मीजल्स- रूबेला टीकाकरण को शत् प्रतिशत पूर्ण करने का प्रयास किया जाएगा।

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