
संवाददाता,, नरेश गुप्ता
अटरिया (सीतापुर)।
अटरिया को हाईवे से जोड़ने वाली नीलगांव रोड अब सड़क कम और पोखर ज्यादा लगने लगी है। भले ही बरसात का मौसम खत्म हो गया हो, लेकिन इस महत्वपूर्ण सड़क पर पानी और कीचड़ का साम्राज्य बना हुआ है। नीलगांव को बाराबंकी और महमूदाबाद से जोड़ने वाली यह सड़क, अधिकारियों की लापरवाही और खराब जल निकासी के कारण अब आवागमन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।
छात्र और बुजुर्ग सबसे ज़्यादा परेशान
इस सड़क की बदहाली का सबसे बुरा असर उन छात्रों पर पड़ रहा है, जिन्हें हर दिन इसी रास्ते से स्कूल और कॉलेज जाना पड़ता है। कीचड़ और पानी से उनकी स्कूल यूनिफॉर्म गंदी हो जाती है, और कई बार फिसलकर गिरने से चोट भी लग जाती है। कई बार तो घंटों तक किनारे खड़े होकर वाहन का इंतज़ार करना पड़ता है।
वहीं, बुजुर्गों और बीमार लोगों की मुश्किलें भी कम नहीं हैं। इलाज और दवा के लिए कस्बे तक जाने में उन्हें भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। कई बार तो एंबुलेंस भी इस जलभराव में फंस जाती है, जिससे गंभीर मरीजों को समय पर अस्पताल पहुँचाना मुश्किल हो जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि जलभराव के कारण मरीजों को अस्पताल पहुँचाने में हुई देरी से उनके परिजनों की चिंता और बढ़ गई है।
दुर्घटनाओं का ख़तरा और गंदगी का अंबार
ग्रामीण बताते हैं कि बरसात के मौसम में हालात और भी खराब हो जाते हैं। गहरे गड्ढों में भरे पानी का अंदाजा न होने से अक्सर बाइक सवार दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। पैदल चलना तो मानो असंभव सा हो गया है। चारों तरफ फैली गंदगी और बदबू ने भी लोगों का जीना मुहाल कर रखा है, जिससे बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है।
ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने कई बार विभाग और प्रशासन को इस समस्या के बारे में बताया है, लेकिन अभी तक न तो जल निकासी की कोई व्यवस्था की गई है और न ही सड़क की मरम्मत। उनकी शिकायतों को लगातार नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।
लोगों में आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी
अब स्थानीय लोगों का सब्र जवाब देने लगा है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही नीलगांव रोड की इस समस्या को दूर नहीं किया गया, तो वे मजबूरन आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि यह सड़क उनके लिए जीवन रेखा की तरह है और इसकी उपेक्षा अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
