​बसों की मनमानी से अटरिया में यात्री बेहाल, डग्गामार वाहनों की शरण में जाने को मजबूर

संवाददाता,, नरेश गुप्ता

​अटरिया (सीतापुर) – अटरिया में बस चालकों और परिचालकों की मनमानी से यात्रियों का जीवन दूभर हो गया है। अवध, कैसरबाग, सीतापुर और शाहजहांपुर डिपो की बसों का आधिकारिक स्टॉपेज होने के बावजूद, बसें यहां रुकती ही नहीं हैं।

इससे परेशान सैकड़ों यात्रियों को घंटों इंतजार के बाद थक-हारकर जान जोखिम में डालकर डग्गामार वाहनों से सफर करना पड़ रहा है, जिससे उनकी जेब पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।

​स्थानीय निवासियों का कहना है कि यात्री बस रुकवाने के लिए हाथ देते हैं, लेकिन चालक-परिचालक बसों को सरपट दौड़ाते हुए आगे निकल जाते हैं। कई बार तो वे खिड़की से हाथ हिलाकर यात्रियों का मज़ाक भी उड़ाते हैं। यात्रियों को धूप, बारिश और ठंड में घंटों इंतजार करना पड़ता है, लेकिन बसें बिना रुके निकल जाना एक आम बात हो गई है।

​यात्रियों का आरोप है कि चालक-परिचालक जानबूझकर अटरिया स्टॉपेज पर नहीं रुकते ताकि उन्हें स्थानीय यात्रियों को चढ़ाने-उतारने की झंझट से छुटकारा मिल सके। इसका फायदा डग्गामार वाहन चालक उठाते हैं और मनमाना किराया वसूलकर यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं।

​यात्रियों की पीड़ा

​इस समस्या से प्रभावित यात्रियों ने अपनी व्यथा बताई। रोजाना सीतापुर नौकरी पर जाने वाले रामकुमार ने कहा, “सुबह बस के इंतजार में एक घंटा निकल जाता है। जब बस नहीं रुकती तो हमें डग्गामार गाड़ियों का सहारा लेना पड़ता है, जिनमें सफर करना न तो सुरक्षित है और न ही आरामदायक।”

​इसी तरह कॉलेज जाने वाली छात्रा पूजा ने बताया, “कॉलेज जाने के लिए हम घंटों खड़े रहते हैं, पर बसें नहीं रुकतीं। डग्गामार वाहन न केवल असुरक्षित हैं, बल्कि समय पर भी नहीं पहुंचाते।”

​परिवहन विभाग पर सवाल

​स्थानीय लोग इस स्थिति के लिए परिवहन विभाग की लापरवाही को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि जब अटरिया में चार बड़े डिपो की बसों का स्टॉपेज निर्धारित है, तो फिर इन नियमों का पालन क्यों नहीं हो रहा? लोग आरोप लगा रहे हैं कि परिवहन विभाग केवल कागजों में स्टॉपेज दिखाकर खानापूर्ति कर रहा है, जबकि ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है।

​लोगों ने मांग की है कि अटरिया स्टॉपेज पर बसों के रुकने के लिए सख्त आदेश जारी किए जाएं और नियमों का उल्लंघन करने वाले चालक व परिचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

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