महोली,, ‘आदमखोर’ नर बाघ भी पिंजरे में कैद: दो महीने की दहशत खत्म, किसानों ने ली राहत की सांस

सीतापुर में ‘आदमखोर’ नर बाघ भी पिंजरे में कैद: दो महीने की दहशत खत्म, किसानों ने ली राहत की सांस

संवाददाता,, नरेश गुप्ता

​महोली सीतापुर: उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के महोली विकास खंड क्षेत्र के निवासियों को आखिरकार बाघों के आतंक से पूरी तरह से मुक्ति मिल गई है। वन विभाग और डब्ल्यूटीआई (Wildlife Trust of India) की संयुक्त टीम ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए, पहले एक बाघिन को पकड़ने के ठीक 25 दिन बाद, अब एक नर बाघ को भी पिंजरे में कैद कर लिया है। पिछले लगभग दो महीनों से इस इलाके में बाघों ने जबरदस्त दहशत फैला रखी थी, जिसके चलते एक किसान की जान गई थी और ग्रामीणों का अपने खेतों पर जाना भी दूभर हो गया था।

दो महीनों का खौफ और दूसरी बड़ी सफलता

​महोली क्षेत्र पिछले करीब दो महीनों से बाघ के खौफ में जी रहा था। इसी दौरान, 22 अगस्त को नरनी गांव के निवासी सौरभ दीक्षित पर एक बाघिन ने हमला कर दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी। इस दुःखद घटना के बाद से ही वन विभाग और डब्ल्यूटीआई की टीम लगातार इन आदमखोर जानवरों को पकड़ने के लिए प्रयासरत थी।

​पहली सफलता 20 सितंबर की रात को मिली, जब टीम ने बड़ी मशक्कत के बाद एक बाघिन को ट्रैंक्विलाइज़ (बेहोश) कर पकड़ा था। इस बाघिन को बाद में गोरखपुर के चिड़ियाघर में भेज दिया गया था। बाघिन के पकड़े जाने पर लोगों ने कुछ राहत महसूस की, लेकिन वन विभाग ने पहले ही इस क्षेत्र में अन्य बाघों की उपस्थिति की आशंका जताई थी।

शिकार और सघन निगरानी के बाद नर बाघ फंसा

​वन विभाग की आशंका सही साबित हुई। बाघिन के पकड़े जाने के बाद भी नरनी गांव के आसपास एक और नर बाघ लगातार सक्रिय बना हुआ था। ग्रामीणों की लगातार शिकायतों और उसकी गतिविधियों की पुष्टि होने के बाद टीम ने अपनी निगरानी तेज कर दी।

​इस नर बाघ को पकड़ने के लिए बिछाए गए जाल में वन विभाग ने कई बार पड़वे (मवेशी) को चारे के रूप में बांधा। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस नर बाघ ने ऐसे छह पड़वों को अपना शिकार बनाया था, जो इसकी लगातार मौजूदगी का प्रमाण था। लगातार सर्च ऑपरेशन और सघन निगरानी के बाद आखिरकार टीम की मेहनत रंग लाई और नरनी गांव के पास लगाए गए पिंजरे में वह नर बाघ कैद हो गया।

“अब कोई और बाघ नहीं,” फिर भी गश्त जारी रहेगी

​नर बाघ के पकड़े जाने की सूचना मिलते ही पूरे महोली विकास खंड के ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई। दो महीनों के खौफ के बाद उन्होंने आखिरकार चैन की सांस ली है। वन विभाग के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि पिंजरे में कैद किया गया यह नर बाघ, पहले पकड़ी गई बाघिन से अलग है।

​विभागीय अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया है कि इलाके में अब किसी और बाघ की मौजूदगी की कोई पुष्टि नहीं हुई है। पकड़े गए इस नर बाघ को भी सुरक्षित रूप से वन उद्यान पार्क भेजा जा रहा है। हालांकि, किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए और ग्रामीणों को पूरी तरह सुरक्षित महसूस कराने के उद्देश्य से, वन विभाग ने एहतियात के तौर पर इलाके में गश्त और निगरानी जारी रखने का फैसला किया है। अब उम्मीद है कि सीतापुर के किसान बिना किसी डर के अपने खेतों में काम कर अपनी आजीविका चला सकेंगे।

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