लगभग 11 साल पहले मिली थी जमीन , अभी तक नहीं हुआ निर्माण
इटौंजा लखनऊ प्राप्त जानकारी के अनुसार लखनऊ के बक्शी का तालाब क्षेत्र के इटौंजा थाना क्षेत्र के नगर पंचायत महोना में सन 2007 में पुलिस चौकी की स्थापना हुई थी परंतु आज तक पुलिस चौकी के भवन का निर्माण नहीं हो सका।
महोना की पुलिस चौकी मात्र नगर पंचायत की दुकानों में संचालित हो रही है। पुलिसकर्मी व चौकी इंचार्ज प्रभारी स्वास्थ्य केंद्र के आवासों में किसी तरह रहकर अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस के आला अधिकारी इस और आंख मीचे हुए हैं।
प्रस्तावित भूमि पर आधी अधूरी चौकी यूं ही पड़ी हुई। जिसका कोई पुरसाहाल नही है।
पुलिस चौकी का भवन न होने के कारण पुलिस कर्मी किसी तरह अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। नागरिकों ने मांग की है कि यहां पर शीघ्र ही पुलिस चौकी के भवन का निर्माण कराया जाए।
महोन पुलिस चौकी को विभाग ने स्थाई चौकी का दर्जा तो दे दिया लेकिन सुविधाएं अभी भी नगण्य हैं। नगर पंचायत महोना
की दुकानों में संचालित पुलिस चौकी में सिपाहियों को रहने एवं जप्त किए गए वाहनों को खड़ा करने सहित अन्य मौलिक सुविधाओं का भी टोटा है। कस्बे में तालाब के पास हाईवे पर 2007 में भूमि महोना
पुलिस चौकी के नाम आवंटन कर राजस्व विभाग की टीम ने सीमा ज्ञान कर उक्त भूमि से अतिक्रमण हटवाकर पुलिस विभाग के सुपुर्द कर दी। पुलिस विभाग ने आवंटित भूमि पर अपना बोर्ड भी लगा दिया। लेकिन विभाग द्वारा भवन निर्माण कार्य नहीं करवाया जा रहा है।
भवन निर्माण के अभाव में इन सुविधाओं का टोटा।
देर शाम को गिरफ्तार किए गए मुलजिमों की रखवाली के लिए सिपाहियों को रातजगा करना पड़ता है या फिर रात में किराए के वाहन से थाने छोंड़ना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर संचालित हो रही पुलिस चौकी में परिसर नहीं होने की वजह से जप्त किए गए वाहन व दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हुए वाहनों को खड़ा करने के लिए जगह नहीं है। कई बार जगह के अभाव में जप्त किए गए वाहनो को हाइवे किनारे खड़ा करना पड़ता है।
इसके अलावा पुलिस चौकी प्रभारी कार्यलाय नहीं होने की वजह से सरकारी रिकॉर्ड भी सुरक्षित नहीं रहता है तथा बारिश के दिनों में देर शाम को गिरफ्तार किए गए मुलजिमों की रखवाली के लिए सिपाहियों को रातजगा करना पड़ता है या फिर रात में किराए के वाहन से थाने छोंड़ना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर संचालित हो रही पुलिस चौकी में परिसर नहीं होने की वजह से जप्त किए गए वाहनों को रोड के किनारे ही खड़ा करना पड़ता है।
तथा आसपास से जहरीले कीड़े निवास स्थान में घुस जाते हैं। यहां तक कि दूसरों को सुरक्षा देने वाले सिपाही खुद को असहज महसूस करते हैं